Thursday, July 12, 2012

……और फिर तुम्हारी याद !



                                          Image courtesy : Vijay Kumar Photography


……और फिर तुम्हारी याद !

एक छोटा सा धुप  का  टुकड़ा
अचानक ही फटा हुआ आकाश
बेहिसाब बरसती बारिश की कुछ बूंदे
और तुम्हारे जिस्म की सोंघी सुगंध
……
और फिर तुम्हारी याद !

उजले चाँद की बैचेनी
अनजान तारो की जगमगाहट
बहती नदी का रुकना
और रुके हुए जीवन का बहना
……
और फिर तुम्हारी याद !

टूटे हुए खपरैल के घर
राह देखती कच्ची सड़क
टुटा हुआ एक  पुराना मंदिर
और रूठा हुआ कोई देवता
……और फिर तुम्हारी याद !

आज एक नाम खुदा का
और आज एक नाम तेरा
आज एक नाम मेरा  भी
और फिर एक नाम इश्क का
……
और फिर तुम्हारी याद !


44 comments:

  1. और फिर तुम्हारी याद

    वाह! बहुत सुन्दर.
    भावमय प्रस्तुति के लिए आभार.

    समय मिलने पर मेरे ब्लॉग पर आईएगा,विजय जी.

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  2. वाह विजय जी ...

    तेरी याद की वजह ढूंढते ढूंढते
    मेरी जिंदगी बेवजह हो गई ..!!


    सु-मन

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  3. सुन्दर.....
    बहुत सुन्दर....
    छू गए ये रूमानी एहसास...........

    सादर
    अनु

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  4. यादों को कब चौखटों की जरूरत होती है ये तो बिना किसी दरो-दीवार के चली आती हैं।

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  5. सुंदर अभिव्यक्ति.

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  6. Sunita Sharma ……और फिर तुम्हारी याद !

    एक छोटा सा धुप का टुकड़ा
    अचानक ही फटा हुआ आकाश
    बेहिसाब बरसती बारिश की कुछ बूंदे
    और तुम्हारे जिस्म की सोंघी सुगंध
    ……और फिर तुम्हारी याद !

    उजले चाँद की बैचेनी
    अनजान तारो की जगमगाहट
    बहती नदी का रुकना
    और रुके हुए जीवन का बहना
    ……और फिर तुम्हारी याद !

    टूटे हुए खपरैल के घर
    राह देखती कच्ची सड़क
    टुटा हुआ एक पुराना मंदिर
    और रूठा हुआ कोई देवता
    ……और फिर तुम्हारी याद !

    आज एक नाम खुदा का
    और आज एक नाम तेरा
    आज एक नाम मेरा भी
    और फिर एक नाम इश्क का
    ……और फिर तुम्हारी याद ..
    ek ek shabd dill m gahri chhap chhod jayenge ..agar koi sachhi mohabbat ka ehsas kar le ...wo bhi aaj ke samay me ...............ek nam khuda ka aur ek nam tera.............meet ko diya khuda ka rutba aur pyaar ko majhab bana liya ...aaaaaaaa khuda itni sachhi ibadat thi .........fir rune hme kyon rula diya ...
    bahut achhi aur jiwant rachna hai vijay ji badhai ..

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  7. सुन्दर. एक पुरानी फ़िल्मी गीत याद आ रही है. "मेरी याद में तुम न आंसू बहाना, न जी को जलना, हमें भूल जाना"

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  8. मन को छूते हुए यह अहसास ... लाजवाब प्रस्‍तुति
    '' स्‍वाद यादों का ''

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  9. आज एक नाम खुदा का
    और आज एक नाम तेरा
    आज एक नाम मेरा भी
    और फिर एक नाम इश्क का
    ……और फिर तुम्हारी याद !
    बेहद खूबसूरत ,बहुत बढ़िया प्रस्तुति!आभार .

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  10. ..तुम्हारे साथ जुडी हुई बहुतसी यादें...और फिर तुम्हारी याद!...बहुत सुन्दर अनुभूति!

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  11. भाई.....
    मैं भी आज आपको याद कर ही रही थी कि
    ये मेल कुछ ढंकी-छुपी सी दिखी
    सच कहते हैं जो याद आए वो दिखता या मिलता जरुर है
    सादर
    यशोदा

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  12. एहसासों को यूं जगा दिया
    तन्हाईयों को यूं सुला दिया
    कि जल उठा बुझा दिया
    चांदनी लिए कौन आ गया.विजयजी कुछ ऐसा एहसास आपकी यह कविता कराती है. पुरानी यादें मष्तिष्क में यूही झिलमिलाती रहती है. अच्छी रचना है. साधुवाद.

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  13. बेहतरीन प्रस्तुति सुन्दर भाव

    एक छोटा सा धुप का टुकड़ा
    अचानक ही फटा हुआ आकाश
    बेहिसाब बरसती बारिश की कुछ बूंदे
    और तुम्हारे जिस्म की सोंघी सुगंध
    ……और फिर तुम्हारी याद !

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  14. उजले चाँद की बैचेनी
    अनजान तारो की जगमगाहट
    बहती नदी का रुकना
    और रुके हुए जीवन का बहना
    ……और फिर तुम्हारी याद !

    बहुत सुंदर रचना ...

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  15. चाँद पर कवि आज कुछ अधिक ही मेहरबान हैं।
    उधर चांद पढा और इधर भी चांद दिख रहा है।

    गोदियाल साहब अपनी कविता में कह रहे हैं,

    पत्थर मारकर, फोड़कर रख दूंगा किसी दिन, किसी के दमकते चाँद को,
    जभी तो लोग जानेंगे 'परचेत' कि फेंकने में कितनी महारत हासिल है तुझे !

    बहुत ही उम्दा कविता विजय जी। आभार

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  16. priya bhai aapki yeh rachnaa sundar bhavon men pagii, man ko gehre chhuti hai.badhai.

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  17. और फिर तुम्हारी याद .....बेहतरीन!!

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  18. टुटा हुआ एक पुराना मंदिर
    और रूठा हुआ कोई देवता..

    कमाल की बात कह डाली विजय भाई...
    कमाल..

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  19. सुन्दर कविता, शुभकामनाएँ.

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  20. yaadon se bhari sunder rachna
    shubkamnayen

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  21. सुन्दर काव्य-कृति या यादों का समन्दर .... गहरे में भी उसकी ही यादें.. बहुत सुन्दर..

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  22. मैं तुम्हें खोजती रही ,चंद्रमा की कलाओं के बीच
    और तुम ..
    मुझे नकारते रहे ,मेरे ही वजूद के संग ||

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  23. ईमेल के द्वारा कमेन्ट :

    Bohut Khoob likha Vijayji,
    Acchi kavita hai.
    Mujhe padkar accha laga.
    Aur bhi likhna,
    Thnx,
    Monika.

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  24. ईमेल के द्वारा कमेन्ट :

    Bhai shri Vijayji,
    Namskar,
    Thodi si alag kavita, good thought....badhai...likhte rahe.....
    Regards,
    Shilpa

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  25. ईमेल के द्वारा कमेन्ट :

    आदरणीय विजय जी,
    आपकी कविता पढ़कर मजा आ गया.
    हिन्दी कुंज में मेरी दो कहानी 'बाबुल के कांटे' और 'एक विलक्षण चित्रकार' पर अपने विचार जरूर भेजें.
    धन्यवाद,
    भूपेन्द्र कुमार दवे
    Executive Director (Retd.)

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  26. FB कमेन्ट :

    Salman Khursheed
    ‎=
    टूटे हुए खपरैल के घर
    राह देखती कच्ची सड़क
    टुटा हुआ एक पुराना मंदिर
    और रूठा हुआ कोई देवता
    ……और फिर तुम्हारी याद !
    ************************
    Mohtaram Vijay Sappatti Sahab Aap Ki Kavita Bahot Hii Sundar Hai, Sari Ki Sari PaNktiyaN Pasand AayiiN, Khubsurat Shayri , Maati Ki SoNdhi Mahek Liye Huye Ek Behtareen Rachna Ke Liye Hardik Badhaaii, DAAAAAD Peshekhidmat Hai ... Waah Zindabaad ....

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  27. FB कमेन्ट :

    Siya Sachdev

    बहुत सुंदर रचना..भावों का क्या खूब शब्द दिये हैं आपने.

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  28. काव्यधारा कमेन्ट :

    आदरणीय विजय जी ,अति सुंदर कथ्य और भाव !!बधाई !!
    संतोष भाऊवाला

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  29. काव्यधारा कमेन्ट :

    विजय जी,
    एक अच्छी कविता के लिए बधाई हो
    सस्नेह,
    सुरेन्द्र

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  30. काव्यधारा कमेन्ट :

    प्रिय विजय सप्पाती जी,,
    प्रकृति और परिवेश के परिदृश्य में
    यादों का आवाहन सुन्दर शब्द चित्रों में
    प्रकट हुआ है | बधाई
    कमल

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  31. काव्यधारा कमेन्ट :

    आदरणीय विजय जी,
    आपकी कविता में आंचलिक स्पर्श है , पढ़ कर अपने शहर की याद आ गई. आपकी भाषा और अभिव्यक्ति दोनों बहुत उत्कृष्ट हैं.

    ढेर दाद कुबूलें ,
    सादर,
    शिशिर

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  32. काव्यधारा कमेन्ट :

    आ० विजय जी,
    सटीक बिम्बों से सुसज्जित इस सुन्दर कविता के लिए बधाई ।
    विजय निकोर

    ReplyDelete
  33. काव्यधारा कमेन्ट :

    आदरणीय विजय जी,

    उजले चाँद की बैचेनी
    अनजान तारो की जगमगाहट
    बहती नदी का रुकना
    और रुके हुए जीवन का बहना
    ……और फिर तुम्हारी याद !


    टूटे हुए खपरैल के घर
    राह देखती कच्ची सड़क
    टुटा हुआ एक पुराना मंदिर
    और रूठा हुआ कोई देवता
    ……और फिर तुम्हारी याद !

    सुन्दर शब्दों में मोती से जड़े भाव , कविता को अनुपम बनाते हुए पाठक के दिल में पसर जाते हैं !
    इस मर्मस्पशी रचना के लिए ढेर सराहना स्वीकारें

    सादर,
    दीप्ति

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  34. FB कमेन्ट :

    Zaheer Shaikh ·

    Walawanti sawalila, thevanya yete punha..........................kee duparee mreeg jalala shodhnya yete punha

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  35. FB कमेन्ट :

    Jyotsna Sharma

    behad khoobsoorat ....rachanaa bhee.. chitra bhee ..

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  36. भावनाओं की लाज़वाब अभिव्यक्ति...बहुत उत्कृष्ट रचना

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  37. sunder prastuti yadon ki .......

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  38. VIJAY JI , KAVITA KYAA PADHEE HAI , MAIN TO
    AAPKEE YAAD MEIN KHO GAYAA HUN .

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  39. अतृप्त तृषा सा भटकता एक टुकड़ा, तुम्हारी याद का।

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