Wednesday, September 30, 2009

भारतीय कॉमिक्स पर आधारित मेरा नया ब्लॉग ....





दोस्तों , मैंने एक नया ब्लॉग बनाया है जो की भारतीय कॉमिक्स पर आधारित है ॥ हम सबमे एक बच्चा छुपा होता है , मुझमे भी है who refuses to grow up...... मैं आज भी कॉमिक्स पढता हूँ और पूरी तरह से दीवाना हूँ कॉमिक्स का .......बचपन से मैंने इंद्रजाल कॉमिक्स, मधुमुस्कान , दीवाना ,लोटपोट इत्यादि कॉमिक्स पढ़ी और अब तक उन्हें collect कर रहा हूँ ॥ मैंने इस ब्लॉग में भारतीय कॉमिक्स के चरित्रों को खुद skteching करके बनाया है । आपको बहुत ख़ुशी होंगी और आपके बचपन की यादें ताजा हो जाएँगी ॥ मुझे जब भी समय मिलेंगा ,मैं इन चरित्रों को बना कर आपके सामने हाज़िर करूँगा । करीब 100 भारतीय कॉमिक चरित्र है ,जिन्हें मैं इस ब्लॉग में लाने की कोशिश करूँगा .. आप सब से निवेदन है की अपने बचपन की मस्त यादो को ताज़ा करे और इस लिंक पर click करे..

http://comicsofindia.blogspot.com/

धन्यवाद...
आपका
विजय

Friday, September 18, 2009

मृत्यु




ये कैसी अनजानी सी आहट आई है ;
मेरे आसपास .....
ये कौन नितांत अजनबी आया है मेरे द्वारे ...
मुझसे मिलने,
मेरे जीवन की , इस सूनी संध्या में ;
ये कौन आया है ….

अरे ..तुम हो मित्र ;
मैं तो तुम्हे भूल ही गया था,
जीवन की आपाधापी में !!!

आओ प्रिय ,
आओ !!!
मेरे ह्रदय के द्वार पधारो,
मेरी मृत्यु...
आओ स्वागत है तुम्हारा !!!

लेकिन ;
मैं तुम्हे बताना चाहूँगा कि,
मैंने कभी प्रतीक्षा नहीं की तुम्हारी ;
न ही कभी तुम्हे देखना चाहा है !

लेकिन सच तो ये है कि ,
तुम्हारे आलिंगन से मधुर कुछ नहीं
तुम्हारे आगोश के जेरे-साया ही ;
ये ज़िन्दगी तमाम होती है .....

मैं तुम्हारा शुक्रगुजार हूँ ,
कि ;
तुम मुझे बंधन मुक्त करने चले आये ;

यहाँ …. कौन अपना ,कौन पराया ,
इन्ही सच्चे-झूठे रिश्तो ,
की भीड़ में,
मैं हमेशा अपनी परछाई खोजता था !

साँसे कब जीवन निभाने में बीत गयी,
पता ही न चला ;
अब तुम सामने हो;
तो लगता है कि,
मैंने तो जीवन को जाना ही नहीं…..

पर हाँ , मैं शायद खुश हूँ ,
कि; मैंने अपने जीवन में सबको स्थान दिया !
सारे नाते ,रिश्ते, दोस्ती, प्रेम….
सब कुछ निभाया मैंने …..
यहाँ तक कि ;
कभी कभी ईश्वर को भी पूजा मैंने ;
पर तुम ही बताओ मित्र ,
क्या उन सबने भी मुझे स्थान दिया है !!!

पर ,
अब सब कुछ भूल जाओ प्रिये,
आओ मुझे गले लगाओ ;
मैं शांत होना चाहता हूँ !
ज़िन्दगी ने थका दिया है मुझे;
तुम्हारी गोद में अंतिम विश्राम तो कर लूं !

तुम तो सब से ही प्रेम करते हो,
मुझसे भी कर लो ;
हाँ……मेरी मृत्यु
मेरा आलिंगन कर लो !!!

बस एक बार तुझसे मिल जाऊं ...
फिर मैं भी इतिहास के पन्नो में ;
नाम और तारीख बन जाऊँगा !!
फिर
ज़माना , अक्सर कहा करेंगा कि
वो भला आदमी था ,
पर उसे जीना नहीं आया ..... !!!

कितने ही स्वपन अधूरे से रह गए है ;
कितने ही शब्दों को ,
मैंने कविता का रूप नहीं दिया है ;
कितने ही चित्रों में ,
मैंने रंग भरे ही नहीं ;
कितने ही दृश्य है ,
जिन्हें मैंने देखा ही नहीं ;
सच तो ये है कि ,
अब लग रहा है कि मैंने जीवन जिया ही नहीं

पर स्वप्न कभी भी तो पूरे नहीं हो पाते है
हाँ एक स्वपन ,
जो मैंने ज़िन्दगी भर जिया है ;
इंसानियत का ख्वाब ;
उसे मैं छोडे जा रहा हूँ ...

मैं अपना वो स्वप्न इस धरा को देता हूँ......



Thursday, September 10, 2009

प्रेम कथा


बहुत समय पहले की बात है
जब देवताओ ने सोचा की
एक प्रेम कथा बनाई जाए ;
उन्होंने तुम्हे बनाया ,
उन्होंने मुझे बनाया ,
और एक जन्म बनाया ;

पर शायद कुछ भूल हो गई ....
कुछ समय का रथ आगे निकल गया,
इस जन्म के लिए एक जन्म बीत गया !!!

जाने -अनजाने में जब हम बने तो
तुम किसी और की हो चुकी थी
मैं किसी और हो चुका था
तुम्हारा जीवन बन रहा था
किसी और के संग फेरे लेते हुए
मेरा जीवन बन रहा था
किसी और के संग मन्त्र पढ़ते हुए....

देवताओ ने हमें बनाया
और जुदा कर दिया
शायद देवता पत्थर के होतें है
शायद देवताओ को एक नए दर्द को जन्म देना था
शायद तुम्हारे मन से
शायद मेरे मन से
पता नही ,
पर देवताओ की बातें देवता ही जाने
हम बने ..
प्यार का जन्म हुआ...
पर हमारे बन्धनों ने उस जन्म को पहली साँस में ही
मृत्यु का आलिंगन दे दिया
और मैं अपनी बात कह न सका ...

समय बीता और जीवन बीता
हमारे बंधन पिघलने लगे
शायद नए बन्धनों के जन्म के लिए
या फिर एक मृत्यु के लिए
हमारी मृत्यु के लिए !

मैंने अब तुमसे अपनी बात की है
देवता शायद इसी दिन का इन्तजार कर रहे थे
वो बड़ी अनोखी रात थी
सारी दुनिया सोयी हुई थी

अचानक चाँद को बादलों ने
अपनी आगोश में ले लिया था
जुगुनू किसी विस्फोट के अंदेशे में कहीं छुप गए थे
आकाश को चूमते हुए पर्वत सिकुड़ गए थे
झींगूरो की कर्कश आवाज शांत थी

सब तरफ़ अजीब सी शान्ति थी
शायद मृत्यु की शान्ति थी
लगता था सब मर चुके है
चाँद ,तारे, पेड़ ,पर्वत और
सारे इंसान
हाँ !
सिर्फ़ हम जिंदा थे
तुम और मैं ......

हम दोनों जल रहे थे
जब कांपती हुई आवाज में ,
तुम्हारा हाथ; मैंने अपने धड़कते हुए दिल पर रखकर
तुमसे , मैंने अपनी बात कही
वो अनजानी सी पुरानी बात कही
उस बात को कहने में
सच कितना समय बीत गया था
यूँ लग रहा था की कई जन्म बीत गए थे
मैंने जब तुमसे वो बात कही
तो शायद समय रुक गया था
हवा ठहर गई थी
हमारी साँसे भी ठहर गई थी
मैंने तुमको तुमसे माँगा
इस जन्म के लिए
तुमने देवताओं को देखा
उन्हें देखकर आंसू बहाए
और प्रार्थना की
कि ;
समय को पीछे ले जाया जाएँ
पर देवता तो पत्थर के बने होतें है

उन्होंने मना कर दिया
न ही उन्होंने हमें ज़िन्दगी दी और न ही दी , हमें एक मौत
जो सब कुछ शांत कर दे
उन्होंने दिए हमें अपने अपने बंधन
जिनके साथ हमने जीना है
इस जन्म के लिए..... उस मृत्यु के लिए

उस मृत्यु के लिए ,जो हमें जुदा कर दे एक जन्म के लिए
जब हम एक हो
जो हमें मिला दे हमेशा के लिए
हम हार गए ..इस जन्म के लिए
और शायद जीत गए ,अगले जन्म के लिए
शायद ..पता नही ;

जन्म और मृत्यु को किसने समझा है
देवताओ कि बातें देवता ही जाने
हम तो इंसान है
मन कि बातें मन के शहर कि गलियों में भटकने दो
यही शायद वक्त का फ़ैसला है
पता नही ...पर शायद ,
प्रेमकथा
इसे ही कहते है
शायद देवता भी यही चाहते है .......

एक अधूरी [ पूर्ण ] कविता

घर परिवार अब कहाँ रह गए है , अब तो बस मकान और लोग बचे रहे है बाकी रिश्ते नाते अब कहाँ रह गए है अब तो सिर्फ \बस सिर्फ...